बीते लम्हे
बीते लम्हे
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वो बीते हुए लम्हे आज याद आते है,
एक प्यारी सी याद बन कर होठों पे मुस्कुरते है।
हर ख़ुशी को साथ मे बांटने की आदत थी हमें
हर नोक झोक के बाद मनाने की आदत थी हमें।
क्लास में शोर तो इतना करते थे की
आसमान भी सर पे उठा लिया हो
फ़िक्र किसी बात की नहीं की
हर बात का खुल के मज़ा लिया करते थे।
प्रिन्सिपल की डांट भी कुछ असर न दिखाती थी,
एक कान से सुनते दूसरे से निकल जाती थी।
हर काम की हम सीधा करे इतने सीधे नहीं थे,
लेकिन आसानी से काम छोड़ दे इतने बिग़डे भी नहीं थै।
वो बीते हुए लम्हे आज याद आते है।
