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Sakshi ojha

Others

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Sakshi ojha

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भाई

भाई

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वो कभी हंसते हंसते रुला देता तो कभी रोने लगूं तो हंसा देता,

मेरा दर्द बांट कर अपने खुशियां का हकदार मुझे बना देता।

वो भाई है मेरा मुझे वो ढेर सरा प्यार करता रहता,

रोज सुबह शाम हमारी तकरार होती,

फिर भी एक दिन भी ऐसा ना आया जब

तकरार के बाद भी हमारे बीच बात करना बन्द हुई।

चिंता उसे सबसे ज्यादा रहती है मेरी,

मगर आज तक उसने कभी जताया नहीं।

प्यार तो वो खुद से ज्यादा मुझे करता,

पर आजतक यही बताता कि मै एक कचरे के डिब्बे से लाई गई हूं,

उसके मजाक से मै चिढ़ सी जाती हूं,

पर सच कहूं तो आब अगर उसकी मजाक ना सुनती

तो मेरा दिन अधूरा सा लगने लगता है,

राखी का दिन का इंतज़ार मुझे हमेशा से रहता है,

क्यूंकि यही तो एक हमारा दिन होता।


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