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Anuradha Nath

Others

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Anuradha Nath

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बेनाम रिश्ते

बेनाम रिश्ते

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उलझी सी है ज़िन्दगी मेरी 

    ना कोई कश्ती ना किनारा 

ज़िन्दगी भी जिए कैसे 

    ना साथ कोई ना सहारा ........ 

अनजान हूँ मैं अपने आपसे 

     क्यों रूठे यह दिल मेरा ,

लेजा मुझे उस जहाँ मे

    जहाँ बनजाउं मैं आवरा .......

तितलिओं के साथ खेला करूँ 

    पूलोंके खुसबू बनकर 

उड़ चलु हवाओपे 

     बादलोंपे छुप छुप कर .......

है तनहा दिल मेरा

     किसीके ख़यालों पे 

टूटती हूँ हरपल 

    उसीके सवालों पे .........



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