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Sita Suwalka

Others

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Sita Suwalka

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बचपन की सखी

बचपन की सखी

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ए सखी, कुछ पलों ने वो यादें सँजो के रखी

बचपन का वो गुड्डे-गुड़ियों का खेल, 

न था मन छोटे-बड़े का कोई मेल।


गाँव की गलियों में वो छुपम- छुपाई भी खेला, 

साथ में घूमें आस-पास का हर एक मेला। 

ए सखी, कुछ पलों ने वो यादें सँजो के रखी। 


बचपन का वो गुड्डे-गुड़ियों का खेल, 

न था मन छोटे-बड़े का कोई मेल


गाँव की गलियों में वो छुपम- छुपाई भी खेला, 

साथ में घूमें आस-पास का हर एक मेला। 

ए सखी, कुछ पलों ने वो यादें सँजो के रखी। 


होली के लिए केसु के फूलों को बटोरना, 

पानी में डाल कुछ दिन बाद उन्हें निचोड़ना। 


इस जीवन के सफर हम बिछुड़ सी गई, 

ढूँढकर फोन नंबर, फिर करेंगे शुरुआत नई। 

ए सखी, कुछ पलों ने वो यादें सँजो के रखी। 



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