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Dr Shashi Shekhar Mishra Atin

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Dr Shashi Shekhar Mishra Atin

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अन्नदाता

अन्नदाता

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हे भारत देश के अन्नदाता

यहां नहीं कोई तुम्हारा त्राता ‌।

तुम्हारे मत से जीतकर आता,

आकर पूंजीपतियों की बजाता।

चुनावों में सब्जबाग दिखलाता,

जीतकर तुमको ही भूल जाता।

सत्ता के गलियारों का हर रास्ता,

भूल जाता तुम्हारी दर्द भरी दास्तां।


सत्ता के गलियारों का रुक रहा रास्ता 

वरना तुम्हें कौन कभी पूछता।

अरे सत्ता मोहावृत कैपिटलिस्ट 

इतना मत इठला ओ अशिष्ट।

विप्लव नाद को अनसुना मत कर 

अन्नदाता के क्रोध से तो डर।

तुम इनके सेवक हो यह पहचानो 

कारपोरेट को त्याग राजधर्म पहचानो।


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