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Sandhya Chaturvedi

Others

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Sandhya Chaturvedi

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ऐसा नहीं कि उन को दर्द नही होत

ऐसा नहीं कि उन को दर्द नही होत

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लड़के रोते नही तो

क्या उनको दर्द नही होता।


होता तो बहुत है पर वो

उसको जाहिर नही करते।


सिर्फ बेटियां ही नही होती विदा घर से।

बेटे भी विदा हो जाते है घर से।


बस उनकी विदाई में बारात नही होती।

उनकी विदाई का अहसास दुनियां को नही होता।


बेटे भी पढ़ने को और घर चलाने को

चुप चाप विदा हो जाते है घर से।


बस उन की विदाई में वो कोहराम नही होता।

अकेले रहते है दूर अपनो से और उफ्फ नही करते।


लड़के रोते नही तो ये नही कि उन को दर्द नही होता।

दर्द तो होता है उन्हें पर वो छुपा लेते है।


आँखे पोछकर अपनी सब को हँसा लेते है।

ये बेटे है, जिन के कंधों पर घर का बोझ होता है।


फिर भी ये सब से रिश्ता निभा लेते है।

पूछो गर हाल इन का तो बस मुस्कुरा देते है।


होस्टल में जब नही मिलता खाना घर का

तो रूखी रोटी ही चाय से खा लेते है।


वो नखरे नही करते रहने और खाने में।

माँ से नही करते शिकायत घर से दूर जाने में।


जब आती मुसीबत कोई घर पर

माँ के लिए ये चट्टान बन जाते है।


राह तकते नही किसी की खुद अपनी

हिम्मत से हर मुश्किल को भगा देते है।


ये लड़के है जो घर गम में मुस्कुरा देते है।।


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