अधूरे जज़्बात
अधूरे जज़्बात
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ख्वाब पूरे थे मगर ख्वाहिश अधूरी थी।
जज़्बात पूरे थे मगर लफ्ज़ अधूरे थे।
मंजिल सामने थी मगर राह अधूरी थी।
चाहत पूरी थी मगर इज़हार अधूरे थे।
मेहरबान सभी थे मगर साथ कोई न थे।
शायद इसीलिए हम सभी कहीं न कहीं कभी न कभी किसी पल अधूरे थे।
