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वैष्णव चेतन "चिंगारी"

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वैष्णव चेतन "चिंगारी"

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अबकी होली ( 68 )

अबकी होली ( 68 )

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लहर कोरोना की दूसरी चल पड़ी है तेज,

आ गया है वैक्सीन समझ के इतराओ न तुम आज,

मनाना है होली का त्योहार मिलकर हम-सबको इस साल,

कोरोना के भय से जो चेहरे उदास हैं इस साल,

उनको रंगों से मुस्कराहट ला दो इस होली में इस साल,

कोई भी न रहे वंचित कोरोना के भय से उदास,

खुशियां भर दो उनकी उदास झोलियों में इस बरस,

गम्भीर बीमारी वाले और बुजुर्ग बंद है जो अपने-अपने घरों में,

उनके संग खुशियां बांटे हम कोरोना के कठिन काल में,

हमको रखना है बस इतना-सा याद इस दौर में,

दो गज की दूरी और मास्क है जरूरी इस होली में,

अबकी बार होली में उनको भी करें याद,

सीमा के योद्धा हो या कोरोना-काल के योद्धा सबको करना है याद,

अबकी होली को हम-सब मिलकर बनाए यादगार,

सरकारी नियमों की पालना के साथ-साथ रंग खेल इस बार,

राग-द्वेष-ईर्ष्या सब छोड़ गले लगाएं होली में अबकी बार,

कोई भी खुशियों से वंचित न रह जाए होली में अबकी बार !!

  


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