अभी बाकी है
अभी बाकी है


कौन बता सकता है ये मुलाक़ात पहली या आखरी है,
ना जाने कितनी बार मिल चुकी हूं तुमसे और कितनी
बार मिलना अभी बाकी है।
हर दौर में कोई ना कोई किरदार होता है मेरे जैसा,
ना जाने कितने किस्सों में ज़िक्र है मेरा,
और कितनी कहानियों में लिखना अभी बाकी है।
सदियों से चली हूं एक काफ़िले के साथ साथ,
ना जाने किन मंजिलों की तलाश है और कहां
पहुंचना अभी बाकी है।
सुना है सौ रास्ते जाते हैं उसके दरवाज़े की तरफ,
मुझे एक भी नहीं मिल रहा,
लगता है बेसमझ क़दमों का भटकना अभी बाकी है।
ना थमा है, ना थमेगा ये रंजिशो का सिलसिला ।
ना जाने कितनी दफा टूटी हूं,
कितनी बार और बिखरना अभी बाकी है।
वजूद के दायरों से निकाल तो चुकी है जात मेरी,
बस सांसों का रुकना और रूह का बिखरना अभी बाकी है।
उस रौशनी की तलाश में जो फिर रहीं हूं मैं ,
समेट लो हौसला जितना अभी बाकी है।
कौन बता सकता है ये मुलाक़ात पहली या आखरी है,
ना जाने कितनी बार मिल चुकी हूं तुमसे और कितनी
बार मिलना अभी बाकी है।