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वैष्णव चेतन "चिंगारी"

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वैष्णव चेतन "चिंगारी"

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अब की होली कंडे की ( 71 )

अब की होली कंडे की ( 71 )

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अब की होली

 

आओ इस होली से हम सब नया प्रण करें,

अब की होली में लकड़ियां न जलाकर,


हम इस बार कंडों की होली जलाए,

बढ़ते प्रदूषण और पेड़ों को हम सब बचाएं,


कंडे मिल जाएंगे आसानी गौ-शाला से,

लकड़ियां मिलती नहीं अब आसानी से,


घटते जंगल-बढ़ता प्रदूषण रुक सकता है हम से,

क्यों न हम ये संदेश जन-जन तक पहुंचाए इस बरस से ?


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