आईने फुटपाथ पर
आईने फुटपाथ पर
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दुनिया के सारे दर्द को आपस में बांट कर,
मिलते हैं ज़िन्दगी के आईने फुटपाथ पर।
लड़ती है ज़िन्दगी जहां हर रोज नई जंग,
ख्वाहिशें बिखरी पड़ी हैं सामने फुटपाथ पर।
जुगनुओं से हो रहा रौशन हमारा आशियाँ,
हमको पता है रौशनी के मायने फुटपाथ पर।
आप की ख़ातिर सजी हैं सौ तरह की दावतें,
दो निवाले ला दिए माँ ने यहां फुटपाथ पर।
जब सज रही हो ज़िन्दगी कपड़ों की शक्ल में,
चिथड़े लपेटे सो रही है ज़िन्दगी फुटपाथ पर।
कुछ भी नहीं है पास में, फिर भी सुकून है,
हम को पता है ज़िन्दगी के मायने फुटपाथ पर।
