"कागज़ भी जब खिल जाते हैं, स्याही से जब भर जाते हैं...! "कागज़ भी जब खिल जाते हैं, स्याही से जब भर जाते हैं...!
फिर से नम आँखें ,दो रोटी की मोहताज , एक हाथ में कलम ,दूजे हाथ में कई राज़। फिर से नम आँखें ,दो रोटी की मोहताज , एक हाथ में कलम ,दूजे हाथ में कई राज़।