तेरा इतराना, तेरे चेहरे का श्रृंगार है...! तेरा इतराना, तेरे चेहरे का श्रृंगार है...!
जज्बात समेटते रह गए खामोशी भेद सारा बोल पड़ी। जज्बात समेटते रह गए खामोशी भेद सारा बोल पड़ी।