जितनी परेशानियां कुदरत को तुमनें दी थी.... एक - एक करके दर सहित लौटा रहा है.... जितनी परेशानियां कुदरत को तुमनें दी थी.... एक - एक करके दर सहित लौटा रहा है....
जून इक्कीस थकान में बीती , पलकें पूरी नींद में भीगी। जून इक्कीस थकान में बीती , पलकें पूरी नींद में भीगी।