युवा लेखिका, सामाजिक चिंतक, बेबाक एवं स्वतंत्र लेखिका
खामियां यूं तो बहुत हैं मुझमें मैं कहने से भी नहीं कतराती हूँ। खामियां यूं तो बहुत हैं मुझमें मैं कहने से भी नहीं कतराती हूँ।
मैं भी स्वतंत्र हूँ उन सभी के लिए जिसके लिए तुम हो। मैं भी स्वतंत्र हूँ उन सभी के लिए जिसके लिए तुम हो।
चायनीज माल है समझ इस गहराई को चायनीज माल है समझ इस गहराई को
अर्थ नहीं मैं निशब्द हूँ ताने-बाने जीवन के मैं चुप रहकर भी बुन लेती हूँ अर्थ नहीं मैं निशब्द हूँ ताने-बाने जीवन के मैं चुप रहकर भी बुन लेती हूँ
लत नहीं तो क्या था जिसके लिए इंसा दिन रात जुटा रहता है लत नहीं तो क्या था जिसके लिए इंसा दिन रात जुटा रहता है