मूलतः कविता लिखता हूँ। कभी कभी व्यंग्य, लेख व लघुकथा लिखता हूँ। हिन्दी में कविताओं का अनुवाद। https://www.rajeevupadhyay.in/
अब बोल भी दीजिए नहीं तो बदहजमी हो जाएगी अब बोल भी दीजिए नहीं तो बदहजमी हो जाएगी
ये कहानी सिर्फ बलिया की ही नहीं है! ये कहानी सिर्फ बलिया की ही नहीं है!
कोई डर है या फिर पुरूष पर अविश्वास या फिर कुछ और ही ? कोई डर है या फिर पुरूष पर अविश्वास या फिर कुछ और ही ?
कभी माँ की आँखों का दुलार। जाने कितने रूप धरता है ? अपरिमित ! कभी माँ की आँखों का दुलार। जाने कितने रूप धरता है ? अपरिमित !