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ख्वाहिशों के बादल ऊंचे थे मगर, बरसाना उनको, धरती पर ही था। ख्वाहिशों के बादल ऊंचे थे मगर, बरसाना उनको, धरती पर ही था।
आज दिए जलालो, फिर से दिवाली मना लो राम के नाम की नगरी तुम फिर से बसा लो! आज दिए जलालो, फिर से दिवाली मना लो राम के नाम की नगरी तुम फिर से बसा लो!
जाग तू और अब नेत्र खोल ले बिखर गई जो शक्ति वो बांहों से जोड़ ले जाग तू और अब नेत्र खोल ले बिखर गई जो शक्ति वो बांहों से जोड़ ले
कितना सताया कितना रुलाया और सावन तू अब आया। कितना सताया कितना रुलाया और सावन तू अब आया।