मैं अजय श्रीवास्तव कानपुर से हूँ साफ और साहित्यिक कविताएं, ग़ज़ल लिखता हूँ संदेशप्रद कहानियां लिखता हूँ
साथ तेरा मिला, तन्हाई मिली... साथ तेरा मिला, तन्हाई मिली...
मेरी नजाकत हो तुम मेरी जरूरत हो तुम... मेरी नजाकत हो तुम मेरी जरूरत हो तुम...
प्यार का एक गुलशन बनाऊंगा मैं बन के खुशबू महकते रहोगे धड़कनों में... प्यार का एक गुलशन बनाऊंगा मैं बन के खुशबू महकते रहोगे धड़कनों में...
अपने मुखड़े पर पर्दा करो कदम सबके डिगाने लगे हैं अपने मुखड़े पर पर्दा करो कदम सबके डिगाने लगे हैं