सबसे कठिन है सबसे सरल होना
और हम कोसते रहें खुद को तमाम उम्र। और हम कोसते रहें खुद को तमाम उम्र।
कि फिर वक्त ही फिसल जाये हाथों से और हम कोसते रहें खुद को तमाम उम्र। कि फिर वक्त ही फिसल जाये हाथों से और हम कोसते रहें खुद को तमाम उम्र।
कांटे हैं ,तो क्या गम है, फूल भी तो हैं, ये क्या कम है। कांटे हैं ,तो क्या गम है, फूल भी तो हैं, ये क्या कम है।
फूलों से बेहद प्रेम है तुम्हें, फिर क्यों तोड़कर अलग कर दिया उन्हें डाली से। फूलों से बेहद प्रेम है तुम्हें, फिर क्यों तोड़कर अलग कर दिया उन्हें डाली से।
मुझे स्वीकार नहीं तुम्हारे ये कोरे रीति रिवाज। मुझे स्वीकार नहीं तुम्हारे ये कोरे रीति रिवाज।
मुझे स्वीकार नहीं तुम्हारा वो दम्भ जो हमेशा स्त्री को निम्नतर आंकता है। मुझे स्वीकार नहीं तुम्हारा वो दम्भ जो हमेशा स्त्री को निम्नतर आंकता है...