मैं तो एक धारा हूँ शब्दों की.. शब्दों के पार ही तो दिल के उद्गार बहते हैं..।
भारतीयों की स्वतंत्रता की संवाहक है तू, भारत माता की गरिमा की परिचायक है तू। भारतीयों की स्वतंत्रता की संवाहक है तू, भारत माता की गरिमा की परिचायक है तू।
घटती जा रही है,वसुंधरा के चेहरे की रौनक। मिट्टी की सौंधी खुशबू ,अब नहीं आती। घटती जा रही है,वसुंधरा के चेहरे की रौनक। मिट्टी की सौंधी खुशबू ,अब नहीं आती।
सुनो, शोषकों ! अब बहुत हुआ ! सदियों से सहती आयी हूँ वेदना ! सुनो, शोषकों ! अब बहुत हुआ ! सदियों से सहती आयी हूँ वेदना !
अब यक़ीनन; तुम अजनबी नहीं रहे...! अब यक़ीनन; तुम अजनबी नहीं रहे...!