कोमल सोनी
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मैं तो एक धारा हूँ शब्दों की.. शब्दों के पार ही तो दिल के उद्गार बहते हैं..।

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वो कहते हैं कि भूल गए हैं हम अपने वादों को, बातों को, मुलाकातों को ! समझते क्यों नहीं? वक्त को, जज्बातों को, हालातों को !! © कोमल सोनी

# नई शुरुआत जीवन का हर पल एक नई शुरुआत है..अपने सपनों के प्रति अपने लक्ष्य के प्रति..तो आज ही कीजिए..एक नई शुरुआत !!! © कोमल सोनी

मेरे आँखों से होकर रूह तक बसी हो तुम ! सच कहूँ, मेरे लबों की हँसी हो तुम !! © कोमल सोनी

नाप कर देखीं हमने, इश्क की गलियां.. जो दूर रहते हैं, उन्हें ही दिल के करीब पाया!! © कोमल सोनी

तेरी मेरी प्रीत,बंधनों से परे, यूँ छोड़ राह में जाना नहीं! रूह से महसूस करें तुझे हरदम, कहना कभी ना, मैं तेरा कान्हा नहीं!! © कोमल सोनी

मुस्कुराहट का राज़ कोई पूछे न हमसे । हमने दिल की गहराइयों में, हमदम को छुपाया है ।। ©कोमल सोनी

कहते हैं ख़ुदा ज़िंदगी देता है । और डॉक्टर वो शख्स है जो उसे सहेजता है ।। © कोमल सोनी

हत्या हुई है जबसे, मानवीय मूल्यों की । मानवीयता का आँगन, सूना पड़ा है... © कोमल सोनी

आती है खुशबू किताबों से ऐसे !  कोई रात - रानी ,कहीं महकी हो जैसे !  © कोमल सोनी


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