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बालकनी तक जाने की मना तो नहीं है। बालकनी तक जाने की मना तो नहीं है।
ए ज़िंदगी क्या तुम लौट आओगी? फिर से.. क्या फिर दिख जाओगी! ए ज़िंदगी क्या तुम लौट आओगी? फिर से.. क्या फिर दिख जाओगी!
ये इश्क विश्क की भाषा तब कहाँ समझ आती थी। एक बात बता तू पगली, क्यूँ इतनी जल्दी बदली ये इश्क विश्क की भाषा तब कहाँ समझ आती थी। एक बात बता तू पगली, क्यूँ इतनी ...
जो धड़कन को घायल कर दे, वो सब दिल के दाँव अधूरे, जो धड़कन को घायल कर दे, वो सब दिल के दाँव अधूरे,
पिता से ही सीखा है मैंने लेना हर घटना से ज्ञान, चाहे पीड़ा कितनी भी हो पर देना सबको सम्मान पिता से ही सीखा है मैंने लेना हर घटना से ज्ञान, चाहे पीड़ा कितनी भी हो पर देना ...