शब्दों को संजोना भाता है मुझे , मैं सपना सागर के नाम से लिखती हूँ
तो क्यों ना कमाएं आशीष, खुशियां सम्मान और स्मृतियाँ। तो क्यों ना कमाएं आशीष, खुशियां सम्मान और स्मृतियाँ।
पैसों से मौज़ हो सकती है समझ की सोच नहीं हो सकती पैसों से मौज़ हो सकती है समझ की सोच नहीं हो सकती
चाँद तारे भी तेरा पता पूछते हैं तेरे बिन वो भी खोये खोये रहते है जब तक तेरी आवाज़ चाँद तारे भी तेरा पता पूछते हैं तेरे बिन वो भी खोये खोये रहते है जब तक त...
चाँद भी चुपचाप सा लगा जाने क्यों चाँद आज उदास सा लगा। चाँद भी चुपचाप सा लगा जाने क्यों चाँद आज उदास सा लगा।
तुमको लिखे सारे सन्देश रास्ते में कहीं खो जाते हैं। तुमको लिखे सारे सन्देश रास्ते में कहीं खो जाते हैं।