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ज़ो भी नज़ारे होते हैं उन नजरों में हो जाते हैं सब बेकार, हो जाते हैं सब बेकार। ज़ो भी नज़ारे होते हैं उन नजरों में हो जाते हैं सब बेकार, हो जाते हैं सब बेकार...
दिमाग में फिर भी यही खयाल है। आज तो बस एक वक्त की रोटी का सवाल है। दिमाग में फिर भी यही खयाल है। आज तो बस एक वक्त की रोटी का सवाल है।
एक विनम्र खेद, मेरी अद्भुत बेटी के लिए। तुम्हारे प्यार करने वाले पिता एक विनम्र खेद, मेरी अद्भुत बेटी के लिए। तुम्हारे प्यार करने वाले पिता