Post graduate teacher
मन के तम अंधकार से डरता था यह बालपन, आज उसी में पाता सुकून यह मन। मन के तम अंधकार से डरता था यह बालपन, आज उसी में पाता सुकून यह मन।
पाने को कुछ प्रेम नया–पर लगता मुझको संशय है यहां पाने को कुछ प्रेम नया–पर लगता मुझको संशय है यहां
बेसुध हो बढ़ रहा नित चलाने को घर परिवार। मैं समझूं इस के दुःख का है नहीं कोई पारावार। बेसुध हो बढ़ रहा नित चलाने को घर परिवार। मैं समझूं इस के दुःख का है नहीं कोई ...
कांधे पे लादे गठरी कुछ दो चार,अपने संग लिए भूखे परिवार। कांधे पे लादे गठरी कुछ दो चार,अपने संग लिए भूखे परिवार।