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मां को परिभाषित कर दे अर्थों में इतनी ताकत कहां मां को परिभाषित कर दे अर्थों में इतनी ताकत कहां
मां मधुरता समर्पण का प्रतिबिंब है। मां मधुरता समर्पण का प्रतिबिंब है।
मां जिंदा शक्ति है मां हीं मुर्त ईश्वर है। मां जिंदा शक्ति है मां हीं मुर्त ईश्वर है।
रिश्तों के भीतर जान होती है। रिश्तों के भीतर जान होती है।
मां शुन्य नहीं शिखर है क्योंकि मां मां है। मां शुन्य नहीं शिखर है क्योंकि मां मां है।
और भावी समय में भी वैसा हीं रहेगा। और भावी समय में भी वैसा हीं रहेगा।
मां सर्वस्व होती है मां मां होती है। मां सर्वस्व होती है मां मां होती है।
तरह की नफरते खुद ब खुद स्नेह में बदल जाता है। तरह की नफरते खुद ब खुद स्नेह में बदल जाता है।
मां का समर्पण मां का प्यार मां का समर्पण मां का प्यार
लेकिन मां का रिश्ता हर रिश्तों का बाप होता है। लेकिन मां का रिश्ता हर रिश्तों का बाप होता है।