Sudhirkumarpannalal Pratibha
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प्रकृति निस्वार्थ सबकुछ अपना देती है , एवज में वो कुछ भी नहीं लेती ।

शिष्टाचार एक ऐसा गुण है जो किसी के पास हो तो वो जग जीत जाता है

ज्ञान के बिना श्रेष्ठ जीवन जीना कठिन होता है

मूर्खता और अज्ञानता में मूर्खता बुरा है उसके अपेक्षाकृत अज्ञानता मूर्खता से श्रेष्ठ है

समझ जितना हीं उच्चतर होगा मनुष्य उतना हीं महान होगा

कल्पना जीवन का आवश्यक अंग है इसके बिना जीवन बिन पतवार के नाव की तरह है

जीवन में आशावादी होना बहुत जरुरी है

व्यक्तित्व मनुष्य की निजी पहचान है व्यक्तित्व में जितना हीं निखार आएगा मनुष्य उतना हीं निखरेगा

विश्वसनीयता हमेशा बना रहे टूटने ना पाए कोशिश ऐसी करनी चाहिए


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