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छोड़कर अपना शहर तुम जो हमारे पास आते.. पूछते तुम हाल मेरा साथ में कुछ क्षण बिताते छोड़कर अपना शहर तुम जो हमारे पास आते.. पूछते तुम हाल मेरा साथ में कुछ क्षण बित...
मेरे हर शब्द में गुरु का वचन संवाद करता है..! जलाता ज्योति मन को जेय कर उत्साह भरता है मेरे हर शब्द में गुरु का वचन संवाद करता है..! जलाता ज्योति मन को जेय कर उत्सा...
जब भेंट कह कर दी गयी विष शब्द की माला उसे जब भेंट कह कर दी गयी विष शब्द की माला उसे
है वह तो हम भी हैं जग में, न है वह तो हम कहीं नहीं ! है वह तो हम भी हैं जग में, न है वह तो हम कहीं नहीं !
मैं अकिंचन तुम हो सुदर्शन अर्पण तुझको हैं ये तन मन मैं अकिंचन तुम हो सुदर्शन अर्पण तुझको हैं ये तन मन
स्वयं रो रहा किन्तु हर्ष का, बीजवपन कर आता है ! स्वयं रो रहा किन्तु हर्ष का, बीजवपन कर आता है !