ग़ज़लकार | लेखक
तुमको जो लेना है ख़ुद ही ले लो तुम, ख़ातिरदारी मेहमानों की होती है। तुमको जो लेना है ख़ुद ही ले लो तुम, ख़ातिरदारी मेहमानों की होती है।
क्यूँ लगता है मयख़ानों की होती है, दुनिया केवल पैमानों की होती है। क्यूँ लगता है मयख़ानों की होती है, दुनिया केवल पैमानों की होती है।
जब सब्र का इम्तिहान हो जाये तब होती अनुभूति की कविता। जब सब्र का इम्तिहान हो जाये तब होती अनुभूति की कविता।
बाहर रहे हो हमेशा ही लेकिन, पैरों ! कभी मेरी चादर में आओ.. कुछ ना मिलेगा किनारों पे तुमको, कश्त... बाहर रहे हो हमेशा ही लेकिन, पैरों ! कभी मेरी चादर में आओ.. कुछ ना मिलेगा किन...
इन रंगीन शहरों में रहती हैं कई नीले रंग की औरतें। कभी मिले हो तुम, किसी नीली औरत से? इन रंगीन शहरों में रहती हैं कई नीले रंग की औरतें। कभी मिले हो तुम, किसी नीली औरत...