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देता हूँ संबल स्वयं के मुखड़े पे मुखौटा डाले। जगत में पुरुषत्व का प्रभाव सबके सम्मुख देता हूँ संबल स्वयं के मुखड़े पे मुखौटा डाले। जगत में पुरुषत्व का प्रभाव सबक...
कारवाँ ये चलेगा तभी ज़हनशीं । साथ जो तुम रहो प्यास बढ़ने लगी।। कारवाँ ये चलेगा तभी ज़हनशीं । साथ जो तुम रहो प्यास बढ़ने लगी।।
जब तक न लिखूँ कोई कविता, दिवस अधूरा मन रूठ रहा है। जब तक न लिखूँ कोई कविता, दिवस अधूरा मन रूठ रहा है।
जीना अपना व्यर्थ न जाये, सभी जीवन सार्थक करो। जीना अपना व्यर्थ न जाये, सभी जीवन सार्थक करो।
आज लहू से मन की गाँठें, धीरे-से खोल रहा हूँ।। आज लहू से मन की गाँठें, धीरे-से खोल रहा हूँ।।