स्वस्मै स्वल्पं समाजाय सर्वस्वं।🙌
सपनों को तोड़ा, उम्र को बाँधा, रिश्तों ने बचपन का हक भी छीन डाला। सपनों को तोड़ा, उम्र को बाँधा, रिश्तों ने बचपन का हक भी छीन डाला।
तू ही मेरी ताक़त, तू ही मेरी आस, तेरे बिना अधूरा है मेरा विश्वास। तू ही मेरी ताक़त, तू ही मेरी आस, तेरे बिना अधूरा है मेरा विश्वास।
मैं भीड़ नहीं हूँ दुनिया की, मेरे अंदर एक ज़माना है.. मैं भीड़ नहीं हूँ दुनिया की, मेरे अंदर एक ज़माना है..
कौन हूँ मैं? तुम कह देना कोई खास नहीं... एक दोस्त है। कौन हूँ मैं? तुम कह देना कोई खास नहीं... एक दोस्त है।
गुरुद्वारे की गुरबानियां इन सबसे ऊपर कुछ बुज़ुर्ग की आवाजें जो देते हैं दुआएं ! गुरुद्वारे की गुरबानियां इन सबसे ऊपर कुछ बुज़ुर्ग की आवाजें जो देते हैं...