पेशे से नहीं शौक से कवि हूँ। साहिल हूँ, पत्ता हूँ, गम का खज़ाना हूँ; मुझे घर पर ना ढूंढना दोस्त कश्ती हूँ, नग़मा हूँ, आवारा ठिकाना हूँ।।
करती है अपना हक़ शिद्दत से अदा है ये असल, ना है दिल्लगी, सबसे बड़ी हमसफ़र ज़िन्दगी् करती है अपना हक़ शिद्दत से अदा है ये असल, ना है दिल्लगी, सबसे बड़ी हमसफ़र ज़िन...
उस वक़्त ज़िंदगी भी तो बेबाक हँसती थी अब वो दिन नहीं हैं, वो आम का बगीचा नहीं है पर मस्त हवा का झौंक... उस वक़्त ज़िंदगी भी तो बेबाक हँसती थी अब वो दिन नहीं हैं, वो आम का बगीचा नहीं है ...
घरोंदे बन के ख़ुद में हमें पनाह देता तो कभी भूकम्प ज़लज़ले में विनाशकारी लीला रच लेता शिल्पी के हथौड़... घरोंदे बन के ख़ुद में हमें पनाह देता तो कभी भूकम्प ज़लज़ले में विनाशकारी लीला रच ल...
उन घटनाओं से ऊर्जा ले उठ खड़ा हो। दिन में तारों का कोई महत्त्व नहीं अंधेरा है जीवन में तो, तारों ज... उन घटनाओं से ऊर्जा ले उठ खड़ा हो। दिन में तारों का कोई महत्त्व नहीं अंधेरा है ज...
देखना है दीये के आगोश में खो जाये रात या दीया इस रात के आगोश में खा जाये मात अपना अपना मर्म है भयभ... देखना है दीये के आगोश में खो जाये रात या दीया इस रात के आगोश में खा जाये मात अ...