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लेकिन हाँ, यहाँ कहीं एक मरुस्थल भी है जो बना है, तुम्हारे पुरुषार्थ से लेकिन हाँ, यहाँ कहीं एक मरुस्थल भी है जो बना है, तुम्हारे पुरुषार्थ से
नरम मुलायम हाथो की लकीरों को अपने हाथों की लकीरों सेे मिला लेने वाला।। नरम मुलायम हाथो की लकीरों को अपने हाथों की लकीरों सेे मिला लेने वाला।।
जो अपने पैरों मैं पड़ी अदृश्य बेड़ियों के कारण मेघा के आने पर भी नाच भी नहीं सकती। जो अपने पैरों मैं पड़ी अदृश्य बेड़ियों के कारण मेघा के आने पर भी नाच भी नहीं सकती...