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उसी तरह हर एहसास कुछ लफ़्ज़ों से ही तो बयां किया जाता है उसी तरह हर एहसास कुछ लफ़्ज़ों से ही तो बयां किया जाता है
कृष्ण ने सुदामा को गले लगाकर उनका स्वागत किया। कृष्ण ने सुदामा को गले लगाकर उनका स्वागत किया।
प्यार हुआ था शायद मुझको, फिर भी ना जाने किस उलझन में थी, प्यार हुआ था शायद मुझको, फिर भी ना जाने किस उलझन में थी,