मैं एक प्रतियोगी परीक्षार्थी हूँ। अभी कुछ दिनों पूर्व ही लेखन में हाथ आजमाया है। मुझें कविता लिखने और पढ़ने का बहुत शौक है।
तुम कहीं नहीं हो मगर तुम्हारे साथ होने का वहम काफ़ी है। तुम कहीं नहीं हो मगर तुम्हारे साथ होने का वहम काफ़ी है।
बिंदिया है मद्धिम, कंगना भी तुम बिन भूला खनकना बिंदिया है मद्धिम, कंगना भी तुम बिन भूला खनकना
हे प्रकृति की मासूम प्रतिनिधि! हम तुम्हारे अपराधी हैं.. हे प्रकृति की मासूम प्रतिनिधि! हम तुम्हारे अपराधी हैं..
तुम्हारी मुस्कान बसंत की बहार तुम्हारी मुस्कान बसंत की बहार
हाँ! बेमानी है तुम्हें ढूंढना , जग के किसी भी नज़ारे में! हाँ! बेमानी है तुम्हें ढूंढना , जग के किसी भी नज़ारे में!