माँ के लिए कुछ
माँ के लिए कुछ
कशिश हो रही शब्दों में,
सुना जो, जाना है माँ से मिलने।
मिलने पहले मैं जाऊंगा,
फिर उनमेंं तकरार सुरु हुुुई।।
जीवन देने वााली माँ से फिर,
मिलने को बेकरार हुए।
रीझ रहे एक दूजे के संंग
माँ की वो शीतल ममता पाने को ।
गोद में बैठ कर फिर,
उस स्नेह भरे नभ से क्रीड़ा करने को।।
जो सुुकून नही इस जग के कोनो में,
वो सुकून इस जहां जन्न्त में।
वो माँ का शुक्रिया अदा करने को ,
फिर आपस मे तकरार शुरु किये।।
ममता के वो पहर
मिल जाये गर हमको भी।
धन्य हो जाये ये तन मन
गर मिले छाव भरा आँचल फिर।।
ये जन्नत है बड़ा सुुहाना ,
ये दस्तूर है बड़ा नीराला।
जिसमे है माँ के आँचल की छाया
वो है इस संसार का राजा।।
बड़े पुण्यो से मिलता है------
मााँ के आँचल में सुकूं से
खेलने खाने को,
ईश्वर भी अवतार लिये मानुष तन में।
मााँ का स्नेह भरी ममता पाने को।।
जीवन तुझको देेने से लेकर,
आज अभी तक।
संग साथ हमेेेशा रह दुआ,
सिर्फ करती है तेेेरे खुुश रहने को l
ममता से भरी इस मूरत मां का,
शुक्रिया तू क्या कर पाएगा l
अश्क़ न बहे तेरे कारन ,
इसका बस करना ख्याल तू।।