ईया से जी की ओर' भाग 6.
ईया से जी की ओर' भाग 6.
काफी दिन बीत गऐ। जिज्ञासा बढ़ती गई यह तो पता लग चुका था कि विद्यालय में ऐसा शब्द नहीं है पूरे पुस्तकालय में देख लिया पूरे शब्दकोश में ढूंढ लिया पर नहीं मिला।
विद्यालय में कभी किसी अध्यापक ने बच्चे के सामने ऐसा कुछ कहा नहीं। अगर विधार्थी आपस में बोल देते थे ऐसा शब्द या वाक्य तो उन्हीं भी डांटते थे तो फिर यह वाक्य कहां से आया तो यह विचार था मन में उस विद्यार्थी के घर जाऊं आज तक मैंने यह बात किसी को कहीं न थी।
अभिभावक सम्मेलन से कुछ दिन पहले मैं उस विद्यार्थी के घर गया प्रधानाचार्य जी के साथ में हमारे विधार्थी के घर पहुंचते ही छात्र के पिता ने अभिवादन किया। और हमें आसन पर बैठाया हमारी सेवा की प्रधानाचार्य से वार्तालाप की यह सब देख कर मुझे अच्छा लगा दिमाग में अनेकों प्रश्न उठ रहे थे आखिरकार किसी व्यक्ति के नाम के पीछे 'या' शब्द विधार्थी कहां से सीखा ?