जब हम बच्चे थे
जब हम बच्चे थे
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जब तक हम सब बच्चे थे
अक़्ल में थोड़े कच्चे थे
पर दिल के सबसे सच्चे थे
जो बोल दिया सो बोल दिया
जो छीन लिया अपनाते थे
जाने अनजाने में कैसे
रंगी सपने बुन जाते थे
बचपन के दिन भी
क्या दिन थे अब याद हमेशा आते हैं
वो खेल निराले प्यारे थे
मस्ती के दिन थे प्यारे थे
काग़ज की नाव चलाते थे
पानी में धूम मचाते थे
गुड्डे गुड़िया का खेल...
कभी राजा-रानी बन जाते थे
बचपन के दिन भी
क्या दिन थे अब याद हमेशा आते हैं