ज़िन्दगी
ज़िन्दगी
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पाँव में पड़ा छाला है,
ज़िन्दगी ज़हर प्याला है !
अंधेरा सिर्फ घर मेरे,
हर सू तो उजाला है !
दिल टूट के बिख़रा तो,
सिक्कों सा उछाला है !
और न कुरेद ज़ख्म मेरे,
मुश्किल बहुत संभाला है !
रहा टूट कर हर ख़्वाब,
आँखों ने जिसे पाला है !
बेवफ़ा तो बहुत देखे,
अंदाज़ तेरा निराला है !
कहना तो है बहुत कुछ,
ज़ुबां पर मगर ताला है !
मैं हूँ सफ़र में तबसे,
तूने दिल से निकाला है !
बहा दे उनको 'पलक',
अश्कों को जो संभाला है !