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alka setia

Others

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alka setia

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बचपन

बचपन

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खो गया है कहीं बचपन याद आया,

आ गया है अब लड़कपन याद आया !


हंसी ठिठौली वो बागों में पड़े झूले,

छोड़ना है अब अल्हड़पन याद आया !


सौंधी सौंधी वो मिट्टी की खुशबू,

बरसता झूम के सावन याद आया !


खेलते थे गुड्डे गुड़ियों के संग जहाँ,

आज छूटा तो वो आँगन याद आया !


पकड़ कर जिसे चलती रही 'पलक',

आँसू से भीगा माँ का दामन याद आया !


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