ओम नमः शिवाय
ओम नमः शिवाय
ओम नमः शिवाय ओम नमः शिवाय
करती हूं मैं आज स्तुति
कर दो मेरी जिज्ञासा शांत ओम नमः शिवाय।
ना दो तुम दुश्मनों को वरदान ओम नमः शिवाय ओम नमः शिवाय।
ओम नमः शिवाय।
आप हे भोले भंडारी।
हर किसी को जो करे तपस्या खुश हो दे दे आप अपना वरदान ।
भले वह हो गलत और विध्वंस कारी।
मगर तपस्या से खुश होकर दिया वरदान।
फिर खुद ने ही निकाला उसका हल उसका काट।
समय-समय पर नए नए तरीके से देवी देवताओं को मां शक्ति को गणपति जी को उत्पन्न कर। किया उन विध्वंशकार्यों का नाश।
अनोखी है आपकी कार्यप्रणाली।
जो आपका त्रिजा नेत्र खुल जाए तो हो जाए,
मच जाए प्रलय और हो जाए सब की अकल ठिकाने।
यह समय है विश्व में बहुत अशांति का।
जगह-जगह युद्ध और एक दूसरे पर अत्याचार का ।
अपना तीसरी नेत्र खोलो।
और बचा लो उन मासूम लोगों को।
इसमें जो भगत हैं आपके नाम भले कुछ भी हो मगर मगर भक्त ईश्वर को तो याद करते हैं। करती हूं मैं इतनी प्रार्थना।
विश्व शांति आ जाए।
कोई किसी से युद्ध ना करें।
सब रहें शांति से और सुकून से।
जीवन ऐसा कुछ कर दो।
भोले भंडारी दे दो हमको
यह वरदान कि दुनिया में शांति का प्रसार हो जाए।
और सब शांति से जिए।
कोई किसी की जान का दुश्मन ना हो।
पढ़ रही हूं ।
देख रही हूं ।
अनादि काल से आपके युग से ही राक्षस और देवताओं का युद्ध चला ही आ रहा है।
अब तो बस करो आपके तीसरे नेत्र को खोलो।
अपना प्रकोप दिखाओ।
और सब को शांत करो।
है मेरी हाथ जोड़कर यह प्रार्थना स्वीकार करो ।
ओम नमः शिवाय
ओम नमः शिवाय।
