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Anita Shrivastava

Others

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Anita Shrivastava

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वो सम्मान

वो सम्मान

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ऐ औरत !!

तू क्यों अपने चरित्र को लेकर परेशान है

बेदाग रहने का तेरा ही ठेका क्यों है

तू चाहे हर जन्म में अग्नि परीक्षाएं दे

तुझे 'वो सम्मान 'कभी नहीं मिलेगा


ज़रा सी ठिठोली का नतीजा चीर हरण

ज़रा सी ज़िद का नतीजा अपहरण

बता देगा यही सब कोई न कोई विद्वान

तू ज़ुबान पर काबू रख मर-मर के जी

फिर भी तुझे 'वो सम्मान' कभी नहीं मिलेगा


एसिड अटैक हो या बलात्कार

चुपचाप सहना सीख

मत मांग नपुंसकों से न्याय की भीख

पत्थर बन कर जी

फिर कोई राम आएगा

'ठोकर' मार कर तुझे इंसान बनाएगा

यही ठोकर तेरी नियति है

ठोकरें खाती जा

चरित्र प्रमाणपत्र दिखाती जा

फिर भी तुझे 'वो सम्मान' नहीं मिलेगा


इस सबकी ज़िम्मेदार तू खुद

क्यों घर से बाहर की दुनिया में दखल दिया

क्यों नहीं केवल देह जनित समस्याओं को

हल किया

तुझे विधाता ने देह ही पैदा किया है

भूल गई?

देहों को जनने का ठेका दिया है

सपनों के झूले पर झूल गई?

बस एक आकर्षक मशीन बन कर जी


न मान की भूख रख न अपने आप को जी

इन दिवस और पखवाड़ों ने 

भ्रमित कर दिया अखबारों ने

क्यों मन मे इरादे पाले

क्यों बड़े सपने देख डाले

सबसे जघन्य अपराध जो तूने किया

अपने अधूरे सपनों को बेटियों में बो दिया


हाँ पुरुष पिता और रक्षक भी होते हैं

सत्य वचन

मगर केवल अपनी जैविक संतान के

अगर नहीं तो फिर बोलो

निर्भया के आरोपी को वकील क्यों

मिलता है?

और इतने पर भी समाज?

उसे वकील साब क्यों कहता है?


कैमरे पीछा क्यों करते हैं?

बलात्कारी किसी औरत की नहीं

इसी दो मुँहे ज़हरीले समाज की

पैदाइश है

होठ सी ले 

पत्थर हो जा

समाज से पूजने का सुख मिलेगा

तुझे इससे न्याय सुरक्षा और 

'वो सम्मान' कभी नहीं मिलेगा...



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