तन्हाईयाँ
तन्हाईयाँ
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होती क्या हैं यह तन्हाईयाँ
महज़ एक एहसास ही तो है किसी का प्यार पाने की आस ही तो है
एक ख़ालीपन एक अनसुना साज़ ही तो है तेरा हो के भी न होना
तेरी बातों में मेरा ज़िक्र न होना तेरी यादों में मेरी फ़िक्र न होना
ये सब रुसवाइयों का आगाज़ ही तो है जब कभी आईने में
खुद को तराशते है तो सोचते है की आखिर हममें कमी क्या रह गयी
यूं टूट कर चाह कर भी आँख में नमी क्यों रह गयी,
वो तो अपनी ज़िन्दगी में बड़े मसरूफ है और हम है की
हमे दो कदम उनके बिना चलना भी नहीं आता