विश्वास मुझे है इस धरती पर
विश्वास मुझे है इस धरती पर
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विश्वास मुझे है इस धरती पर
एक नई “सुबह” भी आऐगी
जब मिट जाऐगी ये दूरी
कट जाऐंगे जात-पात की बेड़ी
मानव रहेगा सिर्फ़ मानव
न कोई धर्म न कोई मज़हब
हर आदमी के दिल में होगा एक सपना
प्यार करो सारी दुनिया से
हमें है मिलकर रहना
उस दिन बन जाऐगी धरती
स्वर्ग से भी बढकर
नहीं दिखेगा कोई भूखा-नंगा
सब सोऐंगे स्नेह की छाँव
मानवता हर और कहीं
मँडराऐगी , हर्षाऐगी,
हँसते मुस्काते चेहरे
बच्चो के हो जाऐंगे
उस दिन सचमुच धरती माँ अपनी
स्वर्ग रूप हो जाऐंगी