अम्माँ क्या गयी
अम्माँ क्या गयी
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अम्माँ क्या गई,
कुछ दिनों के वास्ते अपनी अम्माँ के घर ।।
संग ले गई अपने,
चूल्हा-चौका, कलछी-चिमटा,
दिये-चौबारे, देहरी-आँगन,
खिड़की-दरवाज़े, झाड़ू-बुहारे,
लोटा-थाली, अंधेरे-उजाले,
लोने-अलोने स्वाद सारे,
रोशनदान से आती धूप सुनहरी,
नीम की निम्बोली मीठी-कसेली,
नींबू की क्यारी, बथुए की भाजी,
गायों की रंभाई और आले के देव भी सारे।।
वीराना सा कर गई सारा घर।।
अम्माँ क्या गई ,
कुछ दिनों के वास्ते अपनी अम्माँ के घर !