राह में फ़िर कहीं
राह में फ़िर कहीं
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राह में फ़िर कहीं मुलाकात हो,
और झोंकें हवा के सर्द साथ हो|
मांग लेंगे दुआ तू आ तो सही,
न थमे फ़िर वही बरसात हो|
चाहिए और क्या तुम्ही अब कहो!
फ़िर वही रात हो वही बात हो|
चल दिये दूर हम से किनारे कितने?
ग़म नही कोई गर तेरा साथ हो|
कोई देता नहीं हमे क्यों सदा?
साथ दे कौन जब घनी रात हो!
देख रुसवाईयां कितनी आ मिली!
यूँ लगे है "हुसैन" बारात हो|