आस
आस
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मौला के करिश्मे को,
रोज़ देखता हूँ बैठे हुए किसी आस में,
गिरती हैं उनकी ज़ुल्फ़ें चेहरे पर,
जब लबों की तलाश में,
जलाती है वो हवा,
जो छूती है उन्हें हर साँस में,
बनाया है खुदा ने भी उन्हें,
अपने प्यार के एहसास में!