चटाक की आवाज़ हुई , काँच के टुकड़े फ़र्श पर बिखर गये । चटाक की आवाज़ हुई , काँच के टुकड़े फ़र्श पर बिखर गये ।
परन्तु क्या करूं मित्र? प्रेम में विवश हो जाता हूं, परन्तु क्या करूं मित्र? प्रेम में विवश हो जाता हूं,