उसके दैहिक घाव तो मिट गए हैं पर आत्मिक घाव आज भी रिस रहें हैं। उसके दैहिक घाव तो मिट गए हैं पर आत्मिक घाव आज भी रिस रहें हैं।
श्रिया सिसकते हुए बोली "माँ ईश ने मेरी उंगली तोड़ दी"। श्रिया सिसकते हुए बोली "माँ ईश ने मेरी उंगली तोड़ दी"।