सोचती हूँ कि किस घड़ी में इसे रखा था। जब तक कोई और बाई नहीं मिलती तब तक तो इसे झेलना ही है। सोचती हूँ कि किस घड़ी में इसे रखा था। जब तक कोई और बाई नहीं मिलती तब तक तो इसे झे...
आँखों के कोरों को पोंछते हुए बाहर निकला और साईकिल पर बैठकर आगे बढ़ गया । आँखों के कोरों को पोंछते हुए बाहर निकला और साईकिल पर बैठकर आगे बढ़ गया ।